प्रधानमंत्री जनधन योजना भारत सरकार की एक ऐसी वित्तीय पहल है जिसका उद्देश्य हर नागरिक को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से जोड़ना है। इसी योजना का एक अहम हिस्सा है ओवरड्राफ्ट सुविधा, जो आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को तात्कालिक सहायता प्रदान करती है। अगर आपके खाते में पैसे नहीं हैं, फिर भी आप ₹10,000 तक की राशि निकाल सकते हैं।

क्या है जनधन ओवरड्राफ्ट स्कीम?
जनधन ओवरड्राफ्ट स्कीम उन लोगों के लिए बनाई गई है जो अचानक आर्थिक जरूरत पड़ने पर हाथ खाली न रहें। इस योजना के तहत जनधन खाता धारक व्यक्ति अपने बैंक खाते से निर्धारित सीमा तक राशि निकाल सकता है, भले ही खाता खाली हो। यह रकम बैंक द्वारा अग्रिम ऋण के रूप में दी जाती है जिसे बाद में लौटाया जा सकता है।
जनधन ओवरड्राफ्ट योजना का मुख्य उद्देश्य
सरकार ने यह योजना खासतौर से गरीब, मजदूर, रिक्शा चालक, छोटे दुकानदार और असंगठित क्षेत्र के रोजगार करने वालों को ध्यान में रखकर तैयार की है। इसका उद्देश्य है कि किसी भी नागरिक को आपातकालीन स्थिति में पैसे की कमी न झेलनी पड़े और हर व्यक्ति की पहुंच बैंकिंग सेवाओं तक हो।
ओवरड्राफ्ट लेने के लिए आवश्यक पात्रता
प्रधानमंत्री जनधन ओवरड्राफ्ट सुविधा का लाभ लेने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना आवश्यक है:
- लाभार्थी के पास सक्रिय जनधन बैंक खाता होना चाहिए।
- खाता आधार कार्ड से लिंक होना चाहिए।
- वार्षिक आय ₹2 लाख से कम होनी चाहिए।
- केवल एक परिवार के एक सदस्य को ही यह सुविधा मिलेगी।
- ओवरड्राफ्ट की राशि लौटाने के बाद ही दोबारा लाभ लिया जा सकता है।
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इस स्कीम से मिलने वाले फायदे
- खाते में बैलेंस न होने पर भी ₹10,000 तक की सहायता मिलती है।
- सभी जनधन खातों पर एटीएम कार्ड, पासबुक और बीमा सुविधा का लाभ मिलता है।
- बैंक खाता खोलते समय कोई शुल्क या न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता नहीं होती।
- आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलती है।
आवेदन करने की प्रक्रिया
- अपने जनधन खाते वाली बैंक शाखा में जाएं।
- अपनी पासबुक और पहचान पत्र साथ ले जाएं।
- बैंक में उपलब्ध ओवरड्राफ्ट आवेदन फॉर्म भरें।
- फॉर्म जमा करने के बाद बैंक अधिकारी द्वारा सत्यापन किया जाएगा।
- सत्यापन के बाद निर्धारित सीमा के अनुसार राशि आपके खाते में जारी कर दी जाएगी।
जनधन ओवरड्राफ्ट योजना क्यों खास है?
यह योजना सिर्फ एक वित्तीय सहायता नहीं, बल्कि गरीब वर्ग के आत्मसम्मान और स्वावलंबन की पहल है। इससे लोगों को छोटी जरूरतों के लिए साहूकारों से उधारी नहीं लेनी पड़ती और बैंक की औपचारिक व्यवस्था से उन्हें सुरक्षा भी मिलती है।
















