
8वां केंद्रीय वेतन आयोग (8th CPC) एक विशेष सरकारी समिति है जिसे केंद्रीय कर्मचारियों, रक्षा बलों, अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों और पेंशनभोगियों के वेतन, भत्ते और पेंशन ढांचे की समीक्षा करने का काम सौंपा गया है. इस आयोग का गठन नवंबर 2025 में किया गया है और इसे अपनी रिपोर्ट सरकार को 18 महीने के भीतर सौंपनी है।
फिटमेंट फैक्टर की भूमिका
फिटमेंट फैक्टर वह गुणांक है जिसके जरिए पुराने मूल वेतन को नए वेतन आयोग के तहत नए मूल वेतन में बदला जाता है. 7वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 गुना था, जबकि 8वें वेतन आयोग में इसके 2.13 से 2.86 गुना होने का अनुमान है. यह फैक्टर वेतन वृद्धि की सीमा तय करता है और इसके आधार पर कर्मचारियों की सैलरी में बड़ी बढ़ोतरी हो सकती है।
वेतन और पेंशन में बढ़ोतरी की उम्मीद
अगर न्यूनतम मूल वेतन ₹18,000 से बढ़ाकर ₹26,000 कर दिया जाता है, तो यह 44% की सीधी बढ़ोतरी होगी. विशेषज्ञों के अनुसार, कर्मचारियों के वेतन में कुल मिलाकर 25% से 34% तक का उछाल आ सकता है. इसके अलावा, पेंशनभोगियों को भी इस वृद्धि का फायदा मिलेगा, क्योंकि फिटमेंट फैक्टर का उपयोग पेंशन की रिवाइज्ड बेसिक पेंशन निकालने के लिए भी किया जाएगा।
लागू होने की तारीख और बकाया राशि
आमतौर पर वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी से लागू होती हैं. चूंकि 7वें वेतन आयोग की अवधि 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रही है, इसलिए 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होने की उम्मीद है. यदि रिपोर्ट देर से आती है, तो भी बकाया राशि एकमुश्त या किस्तों में दी जा सकती है।
















